तब हीराम ने काँसे का एक गोल हौज बनाया। उन्होंने इस हौज को “सागर” कहा। हौज लगभग पैंतालीस फुट गोलाई में था। यह आर—पार पन्द्रह फुट और साढ़े सात फुट गहरा था।
उसने हाथ धोने के बड़े पात्र तथा उसके आधार को उस काँसे से बनाया जिसे पवित्र तम्बू के प्रवेश द्वार पर सेवा करने वाली स्त्रियों द्वारा दर्पण के रूप में काम में लाया जाता था।
हर एक करुब (स्वर्गदूत) चार मुखों वाला था। पहला मुख करुब का था। दूसरा मुख मनुष्य का था। तीसरा सिंह का मुख था और चौथा उकाब का मुख था। तब मैंने जाना कि (ये करुब स्वर्गदूत वे जानवर थे जिन्हें मैंने कबार नदी के दर्शन में देखा था!) तब करुब (स्वर्गदूत) हवा में उठे।
वे लोग सिंहासन, चारों प्राणियों तथा प्राचीनों के सामने एक नया गीत गा रहे थे। जिन एक लाख चवालीस हज़ार लोगों को धरती पर फिरौती देकर बन्धन से छुड़ा लिया गया था उन्हें छोड़ अन्य कोई भी व्यक्ति उस गीत को नहीं सीख सकता था।
फिर मुझे काँच का एक सागर सा दिखायी दिया जिसमें मानो आग मिली हो। और मैंने देखा कि उन्होंने उस पशु की मूर्ति पर तथा उसके नाम से सम्बन्धित संख्या पर विजय पा ली है, वे भी उस काँच के सागर पर खड़े हैं। उन्होंने परमेश्वर के द्वारा दी गयी वीणाएँ ली हुई थीं।
फिर चौबीसों प्राचीनों और चारों प्राणियों ने सिंहासन पर विराजमान परमेश्वर को झुक कर प्रणाम किया और उसकी उपासना करते हुए गाने लगे: “आमीन! हल्लिलूय्याह!” जय हो उसकी।
तभी मैंने देखा और अनेक स्वर्गदूतों की ध्वनियों को सुना। वे उस सिंहासन, उन प्राणियों तथा प्राचीनों के चारों ओर खड़े थे। स्वर्गदूतों की संख्या लाखों और करोड़ों थी
फिर मैंने देखा कि उस सिंहासन तथा उन चार प्राणियों के सामने और उन पूर्वजों की उपस्थिति में एक मेमना खड़ा है। वह ऐसे दिख रहा था, मानो उसकी बलि चढ़ाई गयी हो। उसके सात सींग थे और सात आँखें थीं जो परमेश्वर की सात आत्माएँ हैं। जिन्हें समूची धरती पर भेजा गया था।
जब उसने वह लपेटा हुआ पुस्तक ले लिया तो उन चारों प्राणियों तथा चौबीसों प्राचीनों ने उस मेमने को दण्डवत प्रणाम किया। उनमें से हरेक के पास वीणा थी तथा वे सुगन्धित सामग्री से भरे सोने के धूपदान थामे थे; जो संत जनों की प्रार्थनाएँ हैं।
तभी मैंने उन चारों प्राणियों के बीच से एक शब्द सा आते सुना, जो कह रहा था, “एक दिन की मज़दूरी के बदले एक दिन के खाने का गेहूँ और एक दिन की मज़दूरी के बदले तीन दिन तक खाने का जौ। किन्तु जैतून के तेल और मदिरा को क्षति मत पहुँचा।”
क्योंकि वह मेमना जो सिंहासन के बीच में है उनकी देखभाल करेगा। वह उन्हें जीवन देने वाले जल स्रोतों के पास ले जाएगा और परमेश्वर उनकी आँखों के हर आँसू को पोंछ देगा।”