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क्रॉस रेफरेंस
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प्रकाशितवाक्य 4:11

पवित्र बाइबल

“हे हमारे प्रभु और हमारे परमेश्वर! तू ही महिमा, आदर और शक्ति पाने को सुयोग्य है। क्योंकि तूने ही अपनी इच्छा से सभी वस्तु सृजी हैं। तेरी ही इच्छा से उनका अस्तित्व है। और तेरी ही इच्छा से हुई है उनकी सृष्टि।”

अध्याय देखें प्रतिलिपि

31 क्रॉस रेफरेंस  

आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी को बनाया।

उन्होंने मेरा उपहास किया। मैंने सहायता के लिये यहोवा को पुकारा, यहोवा ने मुझे मेरे शत्रुओं से बचाया!

इसके बाद लेवीवंशी येशू, कदमीएल, बानी, हशबन्याह, शेरेब्याह, होदियाह, शबन्याह और पतहयाह ने फिर कहा। वे बोले: “खड़े हो जाओ और अपने यहोवा परमेश्वर की स्तुति करो! “परमेश्वर सदा से जीवित था! और सदा ही जीवित रहेगा! लोगों को चाहिये कि स्तुति करें तेरे महिमावान नाम की! सभी आशीषों से और सारे गुण—गानों से नाम ऊपर उठे तेरा!

मैं अपने ज्ञान को सबसे बाटूँगा। मुझको परमेश्वर ने रचा है। मैं जो कुछ भी जानता हूँ मैं उसका प्रयोग तुझको यह दिखाने के लिये करूँगा कि परमेश्वर निष्पक्ष है।

यहोवा को जो स्तुति के योग्य है, मैं पुकारुँगा और मैं अपने शत्रुओं से बचाया जाऊँगा।

इस्राएल का परमेश्वर तुम्हारे किसी भी देवों से अधिक बलशाली है। वह जो निज भक्तों को सुदृढ़ बनाता।

क्यों? क्योंकि यहोवा ने छ: दिन काम किया और आकाश, धरती, सागर और उनकी हर चीज़ें बनाईं। और सातवें दिन परमेश्वर ने आराम किया। इस प्रकार यहोवा ने शनिवार को वरदान दिया कि उसे आराम के पवित्र दिन के रूप में मनाया जाएगा। यहोवा ने उसे बहुत ही विशेष दिन के रूप में स्थापित किया।

यहोवा ने अपने उद्देश्य से हर किसी वस्तु को रचा है यहाँ तक कि दुष्ट को भी नाश के दिन के लिये।

ऊपर आकाशों को देखो। किसने इन सभी तारों को बनाया किसने वे सभी आकाश की सेना बनाई किसको सभी तारे नाम—बनाम मालूस हैं सच्चा परमेश्वर बहुत ही सुदृढ़ और शक्तिशाली है इसलिए कोई तारा कभी निज मार्ग नहीं भूला।

सचमुच तूने सुना है और जानता है कि यहोवा परमेश्वर बुद्धिमान है। जो कुछ वह जानता है उन सभी बातों को मनुष्य नहीं सीख सकता। यहोवा कभी थकता नहीं, उसको कभी विश्राम की आवश्यकता नहीं होती। यहोवा ने ही सभी दूरदराज के स्थान धरती पर बनाये। यहोवा सदा जीवित है।

यहोवा कहता है, “उन लोगों को यह सन्देश दो: ‘उन असत्य देवताओं ने पृथ्वी और स्वर्ग नहीं बनाए और वे असत्य देवता नष्ट कर दिए जाएंगे, और पृथ्वी और स्वर्ग से लुप्त हो जाएंगे।’”

“परमेश्वर यहोवा, तूने पृथ्वी और आकाश बनाया। तूने उन्हें अपनी महान शक्ति से बनाया। तेरे लिये कुछ भी करना अति कठिन नहीं है।

“हे लोगो, तुम यह क्यों कर रहे हो? हम भी वैसे ही मनुष्य हैं, जैसे तुम हो। यहाँ हम तुम्हें सुसमाचार सुनाने आये हैं ताकि तुम इन व्यर्थ की बातों से मुड़ कर उस सजीव परमेश्वर की ओर लौटो जिसने आकाश, धरती, सागर और इनमें जो कुछ है, उसकी रचना की।

“परमेश्वर, जिसने इस जगत की और इस जगत के भीतर जो कुछ है, उसकी रचना की वही धरती और आकाश का प्रभु है। वह हाथों से बनाये मन्दिरों में नहीं रहता।

क्योंकि सब का रचने वाला वही है। उसी से सब स्थिर है और वह उसी के लिए है। उसकी सदा महिमा हो! आमीन।

कि मैं सभी लोगों के लिए उस रहस्यपूर्ण योजना को स्पष्ट करूँ जो सब कुछ के सिरजनहार परमेश्वर में सृष्टि के प्रारम्भ से ही छिपी हुई थी।

“वह (यहोवा) हमारी चट्टान है— उसके सभी कार्य पूर्ण हैं! क्यों? क्योंकि उसके सभी मार्ग सत्य हैं! वह विश्वसनीय निष्पाप परमेश्वर, करता जो उचित और न्याय है।

परमेश्वर यह भी कहता है, “हे प्रभु, जब सृष्टि का जन्म हो रहा था, तूने धरती की नींव धरी। और ये सारे स्वर्ग तेरे हाथ का कतृत्व हैं।

किन्तु इन अंतिम दिनों में उसने हमसे अपने पुत्र के माध्यम से बातचीत की, जिसे उसने सब कुछ का उत्तराधिकारी नियुक्त किया है और जिसके द्वारा उसने समूचे ब्रह्माण्ड की रचना की है।

उसने हमें एक राज्य तथा अपने परम पिता परमेश्वर की सेवा में याजक होने को रचा। उसकी महिमा और सामर्थ्य सदा-सर्वदा होती रहे। आमीन!

और जो नित्य रूप से सजीव है, जिसने आकाश को तथा आकाश की सब वस्तुओं को, धरती एवं धरती पर की तथा सागर और जो कुछ उसमें है, उन सब की रचना की है, उसकी शपथ लेकर कहा, “अब और अधिक देर नहीं होगी।

ऊँचे स्वर में वह बोला, “परमेश्वर से डरो और उसकी स्तुति करो। क्योंकि उसके न्याय करने का समय आ गया है। उसकी उपासना करो, जिसने आकाश, पृथ्वी, सागर और जल-स्रोतों की रचना की है।”

इसके पश्चात् मैंने भीड़ का सा एक ऊँचा स्वर सुना। लोग कह रहे थे: “हल्लिलूय्याह! परमेश्वर की जय हो, जय हो! महिमा और सामर्थ्य सदा हो!

वे ऊँचे स्वर में कह रहे थे: “वह मेमना जो मार डाला गया था, वह पराक्रम, धन, विवेक, बल, आदर, महिमा और स्तुति प्राप्त करने को योग्य है।”

मैंने एक शक्तिशाली स्वर्गदूत की ओर देखा जो दृढ़ स्वर से घोषणा कर रहा था, “इस लपेटे हुए पुस्तक की मुहरों को तोड़ने और इसे खोलने में समर्थ कौन है?”

वे एक नया गीत गा रहे थे: “तू यह पुस्तक लेने को समर्थ है, और जो इस पर लगी मुहर खोलने को क्योंकि तेरा वध बलि के रूप कर दिया, और अपने लहू से तूने परमेश्वर के हेतु जनों को हर जाति से, हर भाषा से, सभी कुलों से, सब राष्ट्रों से मोल लिया।




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