अतः याजक हिलकिय्याह, अहीकाम, अकबोर, शापान और असाया, नबिया हुल्दा के पास गए। हुल्दा हर्हस के पौत्र व तिकवा के पुत्र शल्लूम की पत्नी थी। वह याजक के वस्त्रों की देखभाल करता था। हुल्दा यरूशलेम में द्वितीय खण्ड में रह रही थी। वे गए और उन्होंने हुल्दा से बातें कीं।
हे परमेश्वर! तोबियाह और सम्बल्लत को याद रख। उन बुरे कामों को याद रख जो उन्होंने किये हैं। उस नबिया नोअद्याह तथा उन नबियों को याद रख जो मुझे भयभीत करने का जतन करते रहे हैं।
परमेश्वर ने कहा, “मनुष्य के पुत्र, इस्राएल में स्त्री नबियों को ढूँढो। वे स्त्री नबी मेरे लिये नहीं बोलतीं। वे वही कहती हैं जो वे कहना चाहती हैं। अत: तुम्हें मेरे लिये उनके विरुद्ध कहना चाहिये। तुम्हें उनसे यह कहना चाहिये।
मैं तुमको बताता हूँ जो मैंने तुम्हारे साथ किया है, मैं तुम्हें मिस्र की धरती से निकाल लाया, मैंने तुम्हें दासता से मुक्ति दिलायी थी। मैंने तुम्हारे पास मूसा, हारून और मरियम को भेजा था।
पर हर ऐसी स्त्री जो बिना सिर ढके प्रार्थना करती है या जनता में परमेश्वर की ओर से बोलती है, वह अपने पुरुष का अपमान करती है जो उसका सिर है। वह ठीक उस स्त्री के समान है जिसने अपना सिर मुँडवा दिया है।
सीसरा के पास नौ सौ लोहे के रथ थे और वह बीस वर्ष तक इस्राएल के लोगों के प्रति बहुत क्रूर रहा। इस्राएल के लोगों के साथ बहुत बुरा व्यवहार किया गया। इसलिए उन्होंने यहोवा की प्रार्थना की और सहायता के लिए रोकर पुकार की।
एक दिन दबोरा, ताड़ के पेड़ के नीचे बैठी थी जिसे “दबोरा का ताड़ वृक्ष” कहा जाता था। इस्राएल के लोग उसके पास यह पूछने के लिये आए कि सीसरा के विषय में क्या किया जाये। (दबोरा का ताड़ वृक्ष एप्रैम के पहाड़ी प्रदेश मे रामा और बेतेल नगरों के बीच था।)