इसलिये बिन्यामीन की सेना इस्राएल की सेना के सामने से भाग खड़ी हुई। वे रेगिस्तान की ओर भागे। लेकिन वे युद्ध से बच न सके। इस्राएल के लोग नगर से बाहर आए और उन्हें मार डाला।
बहुत कष्ट सहने के बाद यहूदा बंधुआ बन गयी। बहुत मेहनत के बाद भी यहूदा दूसरे देशों के बीच रहती है, किन्तु उसने विश्राम नहीं पाया है। जो लोग उसके पीछे पड़े थे, उन्होंने उसको पकड़ लिया। उन्होंने उसको संकरी घाटियों के बीच में पकड़ लिया।
युद्ध के समय, इस्राएल की सेना ने ऐ के सैनिकों को मैदानों और मरुभूमि में धकेल दिया और इस प्रकार इस्राएल की सेना ने ऐ से सभी सैनिकों को मारने का काम मैदानों और मरुभूमि में पूरा किया। तब इस्राएल के सभी सैनिक ऐ को लौटे। तब उन्होंने उन लोगों को जो नगर में जीवित थे, मार डाला।