इस प्रकार यहोवा इस्राएल के लोगों पर बहुत क्रोधित हुआ और उसने कहा, “इस राष्ट्र ने उस वाचा को तोड़ा है जिसे मैंने उनके पूर्वजों के साथ की थी। उन्होंने मेरी नहीं सुनी।
यह उस वाचा की तरह नहीं होगी जिसे मैंने उनके पूर्वजों के साथ की थी। मैंने वह वाचा तब की जब मैंने उनके हाथ पकड़े और उन्हें मिस्र से बाहर लाया। मैं उनका स्वामी था और उन्होंने वाचा तोड़ी।” यह सन्देश यहोवा का है।
“यहोवा इस्राएल के लोगों के विरुद्ध बहुत क्रोधित था। इसलिए यहोवा ने लोगों को चालीस वर्ष तक मरुभूमि में रोके रखा। यहोवा ने उनको तब तक वहाँ रोके रखा जब तक वे लोग, जिन्होंने यहोवा के विरुद्ध पाप किए थे, मर न गए
यह घटित होगा, यदि तुम अपने परमेश्वर यहोवा के साथ की गई वाचा का पालन करने से इन्कार करोगे। यदि तुम अन्य देवताओं के पास जाओगे और उनकी सेवा करोगे तो तुम इस देश को खो दोगे। यदि तुम ऐसा करोगे तो यहोवा तुम पर बहुत क्रोधित होगा। तब तुम इस अच्छे देश से शीघ्रता से चले जाओगे जिसे उसने तुमको दिया है।”
यहोवा इस्राएल के लोगों पर बहुत क्रोधित हुआ। इसलिए यहोवा ने शत्रुओं को इस्राएल के लोगों पर आक्रमण करने दिया और उनकी सम्पत्ति लेने दी। उनके चारों ओर रहने वाले शत्रुओं को यहोवा ने उन्हें पराजित करने दिया। इस्राएल के लोग अपनी रक्षा अपने शत्रुओं से नहीं कर सके।
किन्तु जब हर एक न्यायाधीश मर गया, तब इस्राएल के लोगों ने फिर पाप किया और असत्य देवताओं की पूजा आरम्भ की। इस्राएल के लोग बहुत हठी थे, उन्होंने अपने पाप के व्यवहार को बदलने से इन्कार कर दिया।
यहोवा इस्राएल के लोगों पर क्रोधित हुआ। यहोवा ने कुशन रिश्आतइम को जो मेसोपोटामिया का राजा था, इस्राएल के लोगों को हराने और उन पर शासन करने दिया। इस्राएल के लोग उस राजा के शासन में आठ वर्ष तक रहे।