फिर दावत के प्रबन्धकर्ता ने उस पानी को चखा जो दाखरस बन गया था। उसे पता ही नहीं चला कि वह दाखरस कहाँ से आया। पर उन सेवकों को इसका पता था जिन्होंने पानी निकाला था। फिर दावत के प्रबन्धक ने दूल्हे को बुलाया।
शिमशोन ने अपने हाथ से कुछ शहद निकाला। वह शहद चाटता हुआ रास्ते पर चल पड़ा। जब वह अपने मात—पिता के पास आया तो उसने उन्हें कुछ शहद दिया। उन्होंने भी उसे खाया किन्तु शिमशोन ने अपने माता—पिता को नहीं बताया कि उसने मरे सिंह के शरीर से शहद लिया है।