वे ही तुझको उस कुलटा से और स्वेच्छाचारिणी पत्नी के लुभावनें वचनों से बचायेंगे।
यह बुद्धि तुझको वेश्या और उसकी फुसलाती हुई मधुर वाणी से बतायेगी।
व्यभिचार का पाप ऐसा होता है जैसे हो कोई जाल। यहोवा उसके बहुत कुपित होगा जो भी इस जाल में गिरेगा।
हे मेरे पुत्र, कोई व्यभिचारिणी तुझको क्यों बान्ध पाये और किसी दूसरे की पत्नी को तू क्यों गले लगाये
क्योंकि व्यभिचारिणी के होंठ मधु टपकाते हैं और उसकी वाणी तेल सी फिसलन भरी है।
जो तुझे चरित्रहीन स्त्री से और भटकी हुई कुलटा की फुसलाती बातों से बचाते हैं।
उसने उसे लुभावने शब्दों से मोह लिया। उसको मीठी मधुर वाणी से फुसला लिया।
बुद्ध से कह, “तू मेरी बहन है” और तू समझ बूझ को अपनी कुटुम्बी जन कह।
एक दिन मैंने अपने घर की खिड़की के झरोखे से झाँका,