निरन्तर जागता रह, आँखों में नींद न हो और तेरी पलकों में झपकी तक न आये।
न ही सोऊँगा। अपनी आँखों को मैं विश्राम तक न दूँगा।
मैं उड़कर दूर निर्जन में जाता।
तो मेरे पुत्र, क्योंकि तू औरों के हाथों में पड़ गया है, तू स्वंय को बचाने को ऐसा कर: तू उसके निकट जा और विनम्रता से अपने पड़ोसो से अनुनय विनम्र कर।
हर समय करने के लिये तुम्हारे पास काम है। इसे तुम जितनी उत्तमता से कर सकते हो करो। कब्र में तो कोई काम होगा ही नहीं। वहाँ न तो चिन्तन होगा, न ज्ञान और न विवेक और मृत्यु के उस स्थान को हम सभी तो जा रहे हैं।