क्या यह सम्भव है कि कोई किसी के गोद में आग रख दे और उसके वस्त्र फिर भी जरा भी न जलें?
क्योंकि वह वेश्या तो तुझको रोटी—रोटी का मुहताज कर देगी किन्तु वह कुलटा तो तेरा जीवन ही हर लेगी!
दहकते अंगारों पर क्या कोई जन अपने पैरों को बिना झुलसाये हुए चल सकता है?
इसी प्रकार जीभ, जो देह का एक छोटा सा अंग है, बड़ी-बड़ी बातें कर डालने की डींगे मारती है। अब तनिक सोचो एक जरा सी लपट समूचे जंगल को जला सकती है।