तू दुष्टों के पथ पर चरण मत रख या पापी जनों की राह पर मत चल।
सचमुच वह जन धन्य होगा यदि वह दुष्टों की सलाह को न मानें, और यदि वह किसी पापी के जैसा जीवन न जीए और यदि वह उन लोगों की संगति न करे जो परमेश्वर की राह पर नहीं चलते।
हे मेरे पुत्र, यदि पापी तुझे बहलाने फुसलाने आयें उनकी कभी मत मानना।
हे मेरे पुत्र, तू उनकी राहों पर मत चल, तू अपने पैर उन पर रखने से रोक।
बुद्धिमान की संगति, व्यक्ति को बुद्धिमान बनाता है। किन्तु मूर्खो का साथी नाश हो जाता है।
नहीं तो तू भी उसकी राह चलेगा और अपने को जाल में फँसा बैठेगा।
दुष्ट जन से तू कभी मत होड़कर। उनकी संगत की तू चाहत मत कर।
तू इससे बचता रह, इसपर कदम मत बढ़ा। इससे तू मुड़ जा। तू अपनी राह चल।
तुम ऐसी राह चलो, जो उससे सुदूर हो। उसके घर—द्वार के पास तक मत जाना।
वह उसी गली से होकर, उसी कुलटा के नुक्कड़ के पास से जा रहा था। वह उसके ही घर की तरफ बढ़ता जा रहा था।
तुम अपनी दुर्बद्धि के मार्ग को छोड़ दो, तो जीवित रहोगे। तुम समझ—बूझ के मार्ग पर आगे बढ़ो।”
भटकना बंद करो: “बुरी संगति से अच्छी आदतें नष्ट हो जाती हैं।”