वह निर्धन उत्तम हैं जिसकी राह खरी है। न कि वह धनी पुरुष जो टेढ़ी चाल चलता है।
जिसकी राह सीधी—सच्ची हो, आदर के साथ वह यहोवा से डरता है, किन्तु वह जिसकी राह कुटिल है, यहोवा से घृणा करता है।
अन्याय से मिले अधिक की अपेक्षा, नेकी के साथ थोड़ा मिला ही उत्तम है।
वह गरीब श्रेष्ठ है, जो निष्कलंक रहता; न कि वह मूर्ख जिसकी कुटिलतापूर्ण वाणी है।
लोग चाहते हैं व्यक्ति विश्वास योग्य और सच्चा हो, इसलिए गरीबी में विश्वासयोग्य बनकर रहना अच्छा है। ऐसा व्यक्ति बनने से जिस पर कोई विश्वास न करे।
यदि कोई व्यक्ति निष्कलंक हो तो वह सुरक्षित है। यदि वह बुरा व्यक्ति हो तो वह अपनी सामर्थ खो बैठेगा।