आलसी मनुष्य, निज को मानता महाबुद्धिमान! सातों ज्ञानी पुरुषों से भी बुद्धिमान।
मूर्ख को अपना मार्ग ठीक जान पड़ता है, किन्तु बुद्धिमान व्यक्ति सन्मति सुनता है।
वह मनुष्य जो अपने को बुद्धिमान मानता है, किन्तु होता नहीं है वह तो किसी मूर्ख से भी बुरा होता है।
हे मेरे पुत्र, तू बुद्धिमान बन जा और मेरा मन आनन्द से भर दे। ताकि मेरे साथ जो घृणा से व्यवहार करे, मैं उसको उत्तर दे सकूँ।
अरे ओ आलसी, चींटी के पास जा। उसकी कार्य विधि देख और उससे सीख ले।
अपने मन में मसीह को प्रभु के रूप में आदर दो। तुम सब जिस विश्वास को रखते हो, उसके विषय में यदि कोई तुमसे पूछे तो उसे उत्तर देने के लिए सदा तैयार रहो।