दाखमधु पीते हुए वे अपने देवताओं की मूर्तियों की स्तुति कर रहे थे। उन्होंने उन देवताओं की स्तुति की जो देवता सोने, चाँदी, काँसे, लोहे, लकड़ी और पत्थर के मूर्ति मात्र थे।
हमारे राजा के दिन वे अपनी आग दहकाते हैं, अपनी दाखमधु की दावतें वे दिया करते हैं। मुखिया दाखमधु की गर्मी से दुखिया गये हैं। सो राजाओं ने उन लोगों के साथ हाथ मिलाया है जो परमेश्वर की हँसी करते हैं।