दुष्ट जन इतने अभिमानी होते हैं कि वे परमेश्वर का अनुसरण नहीं कर सकते। वे बुरी—बुरी योजनाएँ रचते हैं। वे ऐसे कर्म करते हैं, जैसे परमेश्वर का कोई अस्तित्व ही नहीं।
यदि कोई व्यक्ति छिपे छिपे अपने पड़ोसी के लिये दुर्वचन कहे, मैं उस व्यक्ति को ऐसा करने से रोकूँगा। मैं लोगों को अभिमानी बनने नहीं दूँगा और मैं उन्हें सोचने नहीं दूँगा, कि वे दूसरे लोगों से उत्तम हैं।
हे यहोवा, मैं अभिमानी नहीं हूँ। मैं महत्वपूर्ण होने का जतन नहीं करता हूँ। मैं वो काम करने का जतन नहीं करता हूँ जो मेरे लिये बहुत कठिन हैं। ऐसी उन बातों की मुझे चिंता नहीं है।
मेरा स्वामी जब यरूशलेम और सिय्योन पर्वत के लिये, जो उसकी योजना है, उसकी बातों को करना समाप्त कर देगा, तो यहोवा अश्शूर को दण्ड देगा। अश्शूर का राजा बहुत अभिमानी है। उसके अभिमान ने उससे बहुत से बुरे काम करवाये हैं। सो परमेश्वर उसे दण्ड देगा।
यहोवा कहता है, “सिय्योन की स्त्रियाँ बहुत घमण्डी हो गयी हैं। वे सिर उठाये हुए और ऐसा आचरण करते हुए, जैसे वे दूसरे लोगों से उत्तम हों, इधर—उधर घूमती रहती हैं। वे स्त्रियाँ अपनी आँखें मटकाती रहती हैं तथा अपने पैरों की पाजेब झंकारती हुई इधर—उधर ठुमकती फिरती हैं।”
तुम्हारी देह का दीपक तुम्हारी आँखें हैं, सो यदि आँखें साफ हैं तो सारी देह प्रकाश से भरी है किन्तु, यदि ये बुरी हैं तो तुम्हारी देह अंधकारमय हो जाती है।
मैं तुम्हें बताता हूँ, यही मनुष्य नेक ठहराया जाकर अपने घर लौटा, न कि वह दूसरा। क्योंकि हर वह व्यक्ति जो अपने आप को बड़ा समझेगा, उसे छोटा बना दिया जायेगा और जो अपने आप को दीन मानेगा, उसे बड़ा बना दिया जायेगा।”
किन्तु यदि कोई ऐसी वस्तु को खाता है, जिसके खाने के प्रति वह आश्वस्त नहीं है तो वह दोषी ठहरता है। क्योंकि उसका खाना उसके विश्वास के अनुसार नहीं है और वह सब कुछ जो विश्वास पर नहीं टिका है, पाप है।
इसी प्रकार हे नव युवकों! तुम अपने धर्मवृद्धों के अधीन रहो। तुम एक दूसरे के प्रति विनम्रता धारण करो, क्योंकि “परमेश्वर अभिमानियों का विरोध करता है किन्तु दीन जनों पर सदा अनुग्रह रहता है।”