किन्तु यहोवा कहता है: “बुरे मनुष्यों ने दीन दुर्बलों से वस्तुएँ चुरा ली हैं। उन्होंने असहाय दीन जन से उनकी वस्तुएँ ले लीं। किन्तु अब मैं उन हारे थके लोगों की रक्षा खड़ा होकर करुँगा।”
उन लोगों को मैं एक नया शब्द शान्ति सिखाऊँगा। मैं उन सभी लोगों को शान्ति दूँगा जो मेरे पास हैं और उन लोगों को जो मुझ से दूर हैं। मैं उन सभी लोगों को चंगा (क्षमा) करूँगा!” ने ये सभी बातें बतायी थी।
किन्तु तुमने तो बदी का बीज बोया है और विपत्ति की फसल काटी है। तुमने अपने झूठ का फल भोगा है। ऐसा इसलिये हुआ कि तुमने अपनी शक्ति और अपने सैनिकों पर विश्वास किया।
किन्तु उनके लिये जो विनाश के मार्ग पर हैं, यह मृत्यु की ऐसी दुर्गन्ध है, जो मृत्यु की ओर ले जाती है। पर उनके लिये जो उद्धार के मार्ग पर बढ़ रहे हैं, यह जीवन की ऐसी सुगंध है, जो जीवन की ओर अग्रसर करती है। किन्तु इस काम के लिये सुपात्र कौन है?
तुम्हारे मुख से कोई अनुचित शब्द नहीं निकलना चाहिए, बल्कि लोगों के विकास के लिए जिसकी अपेक्षा है, ऐसी उत्तम बात ही निकलनी चाहिए, ताकि जो सुनें उनका उससे भला हो।
ये उन्हें जो भटके हुओं से बच निकलने का अभी आरम्भ ही कर रहे हैं, अपनी व्यर्थ की अहंकारपूर्ण बातों से उनकी भौतिक वासनापूर्ण इच्छाओं को जगा कर सत् पथ से डिगा लेते हैं।