कुटिल हृदय जन कभी फूलता फलता नहीं है और जिस की वाणी छल से भरी हुई है, विपदा में गिरता है।
हे यहोवा शुद्ध के साथ तू अपने को शुद्ध दिखाता है, और टेढ़ों के साथ तू तिछर बनता है। किन्तु, तू नीच और कुटिल जनों से भी चतुर है।
जो बुरे इरादे से आँख से इशारा करे, उसको तो उससे दुःख ही मिलेगा। और बकवासी मूर्ख नष्ट हो जायेगा।
बुद्धिमान लोग, ज्ञान का संचय करते रहते, किन्तु मूर्ख की वाणी विपत्ति को बुलाती है।
धर्मी के मुख से बुद्धि प्रवाहित होती है, किन्तु कुटिल जीभ को तो काट फेंका जायेगा।
क्योंकि दुष्ट जन का कोई भविष्य नहीं है। दुष्ट जन का दीप बुझा दिया जायेगा।
क्यों क्योंकि यहोवा कुटिल जन से घृणा करता है और सच्चरित्र जन को अपनाता है।
यहोवा का डरना, पाप से घृणा करना है। गर्व और अहंकार, कुटिल व्यवहार और पतनोन्मुख बातों से मैं घृणा करती हूँ।
बुद्धिमान के शब्द प्रशंसा दिलाते हैं। किन्तु मूर्ख के शब्दों से विनाश होता है।