व्यापारियों, तुम कहते हो, “नवचन्द्र कब बीतेगा, जिससे हम अन्न बेच सकेंगे सब्त कब बीतेगा, जिससे हम अपना गेहूँ बेचने को ला सकेंगे हम कीमतें बढ़ा सकेंगे, बाटों को हलका कर सकेंगे, और हम तराजुओं को ऐसा व्यवस्थित कर लेंगे कि लोगों को ठग सकें।
क्या मैं उन ऐसे बुरे लोगों को नजर अंदाज कर दूँ जो अब भी खोटे बाँट और खोटी तराजू लोगों को ठगने के काम में लाते हैं? क्या मैं उन ऐसे बुरे लोगों को नजर अंदाज कर दूँ, जो अब भी ऐसी गलत बोरियाँ रखते हैं? जिनके भार से गलत तौल दी जाती है?