दुष्टों के विचारों से यहोवा को घृणा है, पर सज्जनों के विचार उसको सदा भाते हैं।
मुझको आशा है कि, मेरे वचन और चिंतन तुझको प्रसन्न करेंगे। हे यहोवा, तू मेरी चट्टान, और मेरा बचाने वाला है!
सुन्दर शब्द मेरे मन में भर जाते हैं, जब मैं राजा के लिये बातें लिखता हूँ। मेरे जीभ पर शष्द ऐसे आने लगते हैं जैसे वे किसी कुशल लेखक की लेखनी से निकल रहे हैं।
कुटिल जनों से, यहोवा घृणा करता है किन्तु वह उनसे प्रसन्न होता है जिनके मार्ग सर्वदा सीधे होते हैं।
मनुष्य उचित उत्तर देने से आनन्दित होता है। यथोचित समय का वचन कितना उत्तम होता है।
यहोवा अभिमानी के घर को छिन्न—भिन्न करता है; किन्तु वह विवश विधवा के घर की सीमा बनाये रखता है।
लालची मनुष्य अपने घराने पर विपदा लाता है किन्तु वही जीवित रहता है जो जन घूस से घृणा भाव रखता है।
मीठी वाणी छत्ते के शहद सी होती है, एक नयी चेतना भीतर तक भर देती है।
मूर्ख की योजनायें पाप बन जाती है और निन्दक जन को लोग छोड़ जाते हैं।
यरूशलेम के लोगों, अपने हृदय से बुराइयों को धो डालो। अपने हृदयों को पवित्र करो, जिससे तुम बच सको। बुरी योजनायें मत बनाते चलो।
क्योंकि बुरे विचार, हत्या, व्यभिचार, दुराचार, चोरी, झूठ और निन्दा जैसी सभी बुराईयाँ मन से ही आती हैं।