मैं सुलैमान के पुत्र को एक परिवार समूह पर शासन करते हुए रहने दूँगा। मैं इसे इसलिए करूँगा कि मेरे सेवक दाऊद का शासन यरूशलेम में मेरे सामने सदैव रहेगा। यरूशलेम वह नगर है जिसे मैंने अपना निजी नगर चुना है।
किन्तु क्या प्राय: ऐसा होता है कि दुष्ट जन का प्रकाश बुझ जाया करता है? कितनी बार दुष्टों को दु:ख घेरा करते हैं? क्या परमेश्वर उनसे कुपित हुआ करता है, और उन्हें दण्ड देता है?
इसका तात्पर्य यह हुआ कि हमारे पिता का नाम नहीं चलेगा। यह ठीक नहीं है कि हमारे पिता का नाम मिट जाए। इसलिए हम लोग यह माँग करते हैं कि हमें भी कुछ भूमि दी जाए जिसे हमारे पिता के भाई पाएंगे।”