आलसी मनुष्य निज शिकार ढूँढ नहीं पाता किन्तु परिश्रमी जो कुछ उसके पास है, उसे आदर देता है।
थोड़े से भले लोग, दुर्जनों की भीड़ से भी उत्तम है।
सुस्त हाथ मनुष्य को दरिद्र कर देते हैं, किन्तु परिश्रमी हाथ सम्पत्ति लाते हैं।
धर्मी मनुष्य मित्रता में सतर्क रहता है, किन्तु दुष्टों की चाल उन्हीं को भटकाती है।
आलसी मनोरथ पालता है पर कुछ नहीं पाता, किन्तु परिश्रमी की जितनी भी इच्छा है, पूर्ण हो जाती है।
बैचेनी के साथ प्रचुर धन उत्तम नहीं, यहोवा का भय मानते रहने से थोड़ा भी धन उत्तम है।
अन्याय से मिले अधिक की अपेक्षा, नेकी के साथ थोड़ा मिला ही उत्तम है।
यदि तू पेटू है तो खाने पर नियन्त्रण रख।
जैसे अपनी चूल पर चलता रहता किवाड़। वैसे ही आलसी बिस्तर पर अपने ही करवटें बदलता है।
आलसी अपना हाथ थाली में डालता है किन्तु उसका आलस, उसके अपने ही मुँह तक उसे भोजन नहीं लाने देता।