तब दाऊद ने नातान से कहा, “मैंने यहोवा के विरुद्ध पाप किया है।” नातान ने दाऊद से कहा, “यहोवा तुम्हें क्षमा कर देगा, यहाँ तक की इस पाप के लिये भी तुम मरोगे नहीं।
फ़िरौन ने मूसा और हारून को बुलाया। फिरौन ने कहा, “यहोवा से कहो कि वे मुझ पर तथा मेरे लोगों पर से मेढ़कों को हटाए। तब मैं लोगों को यहोवा के लिए बलि चढ़ाने को जाने दूँगा।”
यरूशलेम कहा करती है, “यहोवा तो न्यायशील है क्योंकि मैंने ही उस पर कान देना नकारा था। सो, हे सभी व्यक्तियों, सुनो! तुम मेरा कष्ट देखो! मेरे युवा स्त्री और पुरुष बंधुआ बना कर पकड़े गये हैं।
यहोवा ने वे भयानक बाते तैयार रख छोड़ी थीं और उसने हमाने साथ उन बातों को घटा दिया। हमारे परमेश्वर यहोवा ने ऐसा इसलिये किया था कि वह तो जो कुछ भी करता है, न्याय ही करता है। किन्तु हम अभी भी उसकी नहीं सुनते।
लोग मूसा के पास आए और उससे कहा, “हम जानते हैं कि जब हमने यहोवा और तुम्हारे विरुद्ध शिकायत की तो हमने पाप किया। यहोवा से प्रार्थना करो। उनसे कहो कि इन साँपों को दूर करे।” इसलिए मूसा ने लोगों के लिए प्रार्थना की।
किन्तु अपनी कठोरता और कभी पछतावा नहीं करने वाले मन के कारण उसके क्रोध को अपने लिए उस दिन के वास्ते इकट्ठा कर रहा है जब परमेश्वर का सच्चा न्याय प्रकट होगा।
अब हम यह जानते हैं कि व्यवस्था में जो कुछ कहा गया है, वह उन को सम्बोधित है जो व्यवस्था के अधीन हैं। ताकि हर मुँह को बन्द किया जा सके और सारा जगत परमेश्वर के दण्ड के योग्य ठहरे।
तब शाऊल ने शमूएल से कहा, “मैंने पाप किया है। मैंने यहोवा के आदेशों को नहीं माना है और मैंने वह नहीं किया है जो तुमने करने को कहा। मैं लोगों से डरता था इसलिए मैंने वह किया जो उन्होंने कहा।
शाऊल ने उत्तर दिया, “ठीक है, मैंने पाप किया! किन्तु कृपया मेरे साथ लौटो। इस्राएल के लोगों और प्रमुखों के सामने मुझे कुछ सम्मान दो। मेरे साथ लौटो जिससे मैं तुम्हारे परमेश्वर यहोवा की उपासना कर सकूँ।”
तब शाऊल ने कहा, “मैंने पाप किया है। मेरे पुत्र दाऊद लौट आओ। आज तुमने दिखा दिया कि मेरा जीवन तुम्हारे लिये महत्व रखता है। इसलिये मैै तुम्हें चोट पहुँचाने का प्रयत्न नहीं करूँगा। मैंने मूर्खतापूर्ण काम किया है। मैंने एक भंयकर भूल की है।”