मूसा ने सभी लेवी लोगों को आदेश दिया कि वे तम्बू अर्थात् साक्षीपत्र का तम्बू बनाने में काम आई हुई चीज़ों को लिख लें। हारून का पुत्र ईतामार इस सूची को रखने का अधिकारी था।
इसलिये राजा योआश ने प्रमुख याजक यहोयादा को बुलाया। राजा ने कहा, “यहोयादा, तुमने लेवीवंशियों को यहूदा और यरूशलेम से कर का धन लाने को प्रेरित क्यों नहीं किया यहोवा के सेवक मूसा औऱ इस्राएल के लोगों ने पवित्र तम्बू के लिये इस कर के धन का उपयोग किया था।”
लेवीवंश के पुरुषों से कहो कि वे साक्षीपत्र के पवित्र तम्बू के लिए उत्तरदायी हैं। वे उसकी और उसमें जो चीजें हैं, उनकी देखभाल करेंगे। वे मिलापवाले तम्बू और उसकी सभी चीजें लेकर चलेंगे। वे अपना डेरा उसके चारों ओर डालेंगे तथा उसकी देखभाल करेंगे।
किन्तु लेवी के लोगों को अपना डेरा पवित्र तम्बू के चारों ओर डालना चाहिए। लेवीवंश के लोग साक्षीपत्र के पवित्र तम्बू की रक्षा करेंगे। वे पवित्र तम्बू की रक्षा करेंगे जिससे इस्राएल के लोगों का कुछ भी बुरा नहीं होगा।”
अन्य लेविवंशी लोगों को अपना साथ देने के लिए अपने परिवार समूह से लाओ। वे तुम्हारी और तुम्हारे पुत्रों की सहायता साक्षी के पवित्र तम्बू के कार्यों को करने में करेंगे।
यह देखकर पतरस यीशु से बोला, “प्रभु, अच्छा है कि हम यहाँ हैं। यदि तू चाहे तो मैं यहाँ तीन मंडप बना दूँ-एक तेरे लिए, एक मूसा के लिए और एक एलिय्याह के लिए।”
“साक्षी का तम्बू भी उस वीराने में हमारे पूर्वजों के साथ था। यह तम्बू उसी नमूने पर बनाया गया था जैसा कि उसने देखा था और जैसा कि मूसा से बात करने वाले ने बनाने को उससे कहा था।
क्योंकि हम जानते हैं कि हमारी यह काया अर्थात् यह तम्बू जिसमें हम इस धरती पर रहते हैं गिरा दिया जाये तो हमें परमेश्वर की ओर से स्वर्ग में एक चिरस्थायी भवन मिल जाता है जो मनुष्य के हाथों बना नहीं होता।
किन्तु अब मसीह इस और अच्छी व्यवस्था का, जो अब हमारे पास है, प्रमुख याजक बनकर आ गया है। उसने उस अधिक उत्तम और सम्पूर्ण तम्बू में से होकर प्रवेश किया जो मनुष्य के हाथों की बनाई हुई नहीं थी। अर्थात् जो सांसारिक नहीं है।
फिर स्वर्ग में स्थित परमेश्वर के मन्दिर को खोला गया तथा वहाँ मन्दिर में वाचा की वह पेटी दिखाई दी। फिर बिजली की चकाचौंध होने लगी। मेघों का गर्जन-तर्जन और घड़घड़ाहट के शब्द भूकम्प और भयानक ओले बरसने लगे।
तभी मैंने आकाश में एक ऊँची ध्वनि सुनी। वह कह रही थी, “देखो अब परमेश्वर का मन्दिर मनुष्यों के बीच है और वह उन्हीं के बीच घर बनाकर रहा करेगा। वे उसकी प्रजा होंगे और स्वयं परमेश्वर उनका परमेश्वर होगा।