हर एक कनात बराबर नाप की थी। यह चौदह गज़ लम्बी तथा, दो गज़ चौड़ी थी।
पाँच कनातें एक साथ आपस में जोड़ी गई जिससे वे एक ही बन गईं। दूसरी को बनाने के लिए अन्य पाँच कनातें आपस में जोड़ी गईं।
तब निपुण कारीगरों ने पवित्र तम्बू बनाना आरम्भ किया। उन्होंने नीले, बैंगनी और लाल कपड़े और सन के उत्तम रेशों की दस कनातें बनाईं। और उन्होंने करूब के पंख सहित चित्रों को कपड़े पर काढ़ दिया।