वस्तुओं को जिस प्रकार एक बुद्धिमान व्यक्ति समझ सकता है और उनकी व्याख्या कर सकता है, वैसे कोई भी नहीं कर सकता। उसकी बुद्धि उसे प्रसन्न रखती है। बुद्धि एक दुःखी मुख को प्रसन्न मुख में बदल देती है।
जब मैं उससे बात करता हूँ तो मैं उसके आमने सामने बात करता हूँ। मैं जो बात कहना चाहता हुँ उसे साफ—साफ कहता हुँ मैं छिपे अर्थ वाले विचित्र विचारों को उसके सामने नहीं रखता और मूसा यहोवा के स्वरूप को देख सकता है। इसलिए तुमने मेरे सेवक मूसा के विरुद्ध बोलने का साहस कैसे किया?”
जब शमौन पतरस ने यह देखा तो वह यीशु के चरणों में गिर कर बोला, “प्रभु मैं एक पापी मनुष्य हूँ। तू मुझसे दूर रह।” उसने यह इसलिये कहा था कि इतनी मछलियाँ बटोर पाने के कारण उसे और उसके सभी साथियों को बहुत अचरज हो रहा था।
किन्तु वह सेवा जो मृत्यु से युक्त थी यानी व्यवस्था का विधान जो पत्थरों पर अंकित किया गया था उसमें इतना तेज था कि इस्राएल के लोग मूसा के उस तेजस्वी मुख को एकटक न देख सके। (और यद्यपि उसका वह तेज बाद में क्षीण हो गया।)