तब यहोवा ने मूसा से कहा, “दो और समतल चट्टानें ठीक वैसी ही बनाओ जैसी पहली दो थीं जो टूट गईं। मैं इन पर उन्हीं शब्दों को लिखूँगा जो पहले दोनों पर लिखे थे।
यहोवा ने मूसा से कहा, “मेरे पास पर्वत पर आओ। मैंने अपने उपदेशों और आदेशों को दो समतल पत्थरों पर लिखा है। ये उपदेश लोगों के लिए हैं। मैं इन समतल पत्थरों को तुम्हें दूँगा।”
इस प्रकार परमेश्वर ने मूसा से सीनै पर्वत पर बात करना समाप्त किया। तब परमेश्वर ने उसे आदेश लिखे हुए दो समतल पत्थर दिए। परमेश्वर ने अपनी उगुलियों का उपयोग किया और पत्थर पर उन नियमों को लिखा।
जब मूसा डेरे के समीप आया तो उसने सोने के बछड़े और गाते हुए लोगों को देखा। मूसा बहुत क्रोधित हो गया और उसने उन विशेष पत्थरों को ज़मीन पर फेंक दिया। पर्वत की तलहटी में पत्थरों के कई टुकडे हो गए।
मूसा वहाँ यहोवा के साथ चालीस दिन और चालीस रात रहा। उस पूरे समय उसने न भोजन किया न ही पानी पिया। और मूसा ने साक्षीपत्र के शब्दों के (दस आदेशों) को, पत्थर की दो समतल पट्टियों पर लिखा।
इसलिए मूसा ने पहले पत्थरों की तरह पत्थर की दो समतल पटिट्याँ बनाईं। तब अगले सवेरे ही वह सीनै पर्वत पर गया। उसने हर एक चीज़ यहोवा के आदेश के अनुसार की। मूसा अपने साथ पत्थर की दोनों समतल पट्टियाँ ले गया।
तब यिर्मयाह ने दूसरा पत्रक लिया और उसे नेरिय्याह के पुत्र शास्त्री बारुक को दिया। जैसे यिर्मयाह बोलता जाता था वैसे ही बारुक उन्हीं सन्देशों को पत्रक पर लिखता जाता था जो उस पत्रक पर थे जिसे राजा यहोयाकीम ने आग में जला दिया था और उन्हीं सन्देशों की तरह बहुत सी अन्य बातें दूसरे पत्रक में जोड़ी गई।