जब मैं तुमसे मिलूँगा तब मैं करूबों के बीच से, जो साक्षीपत्र के सन्दूक के विशेष ढक्कन पर है, बात करूँगा। मैं अपने सभी आदेश इस्राएल के लोगों को उसी स्थान से दूँगा।”
इस प्रकार परमेश्वर ने मूसा से सीनै पर्वत पर बात करना समाप्त किया। तब परमेश्वर ने उसे आदेश लिखे हुए दो समतल पत्थर दिए। परमेश्वर ने अपनी उगुलियों का उपयोग किया और पत्थर पर उन नियमों को लिखा।
यहोवा मूसा से आमने—सामने बात करता था। यहोवा मूसा से इस प्रकार बात करता था जिस प्रकार कोई व्यक्ति अपने मित्र से बात करता है। यहोवा से बात करने के बाद मूसा हमेशा अपने डेरे मे वापस लौटता था। नून का पुत्र नवयुवक यहोशू मूसा का सहायक था। यहोशू सदा तम्बू में रहता था जब मूसा उसे छोड़ता था।
जब कभी मूसा बाहर तम्बू में जाता तो लोग उसको देखते रहते। लोग अपने तम्बूओं के द्वार पर खड़े रहते और मूसा को तब तक देखते रहते जब तक वह मिलापवाले तम्बू में चला जाता।
किसी व्यक्ति को तुम्हारे साथ नहीं आने दिया जाएगा। पर्वत के किसी भी स्थान पर कोई भी व्यक्ति दिखाई तक नहीं पड़ना चाहिए। यहाँ तक कि तुम्हारे जानवरों के झुण्ड और भेड़ों की रेवडें भी पर्वत की तलहटी में घास नहीं चर सकेंगी।”
“यहोवा, यदि तू मुझसे प्रसन्न है तो मेरे साथ चल। मैं जानता हूँ कि ये लोग हठी हैं। किन्तु तू हमें उन पापों और अपराधों के लिए क्षमा कर जो हमने किए हैं। अपने लोगों के रूप में हमें स्वीकार कर।”
तब मैं आऊँगा और तुमसे बातें करूँगा। अब तुम पर आत्मा आई है। किन्तु मैं उन्हें भी आत्मा का कुछ अंश दूँगा। तब वे लोगों की देखभाल करने में तुम्हारी सहायता करेंगे। इस प्रकार, तुमको अकेले इन लोगों के लिए उत्तरदायी नहीं होना पड़ेगा।
मूसा मीलापवाले तम्बू में यहोवा से बात करने गया। उस समय उसने अपने से बात करती हुई यहोवा की वाणी सुनी। वह वाणी साक्षीपत्र के सन्दूक के ऊपर के विशेष ढक्कन पर के दोनों करूबों के मध्य से आ रही थी। इस प्रकार परमेश्वर ने मूसा से बातें की।
यहोवा ने मूसा से कहा, “अब तुम्हारे मरने का समय निकट है। यहोशू को लो और मिलापवाले तम्बू में जाओ। मैं यहोशू को बताऊँगा कि वह क्या करे।” इसलिए मूसा और यहोशू मिलापवाले तम्बू में गए।