जब मूसा डेरे के समीप आया तो उसने सोने के बछड़े और गाते हुए लोगों को देखा। मूसा बहुत क्रोधित हो गया और उसने उन विशेष पत्थरों को ज़मीन पर फेंक दिया। पर्वत की तलहटी में पत्थरों के कई टुकडे हो गए।
किन्तु मूसा ने अपने परमेश्वर यहोवा से प्रार्थना की। मूसा ने कहा, “हे यहोवा, तू अपने क्रोध को अपने लोगों को नष्ट न करने दे। तू अपार शक्ति और अपने बल से इन्हें मिस्र से बाहर ले आया।
तब यहोवा ने मूसा से कहा, “दो और समतल चट्टानें ठीक वैसी ही बनाओ जैसी पहली दो थीं जो टूट गईं। मैं इन पर उन्हीं शब्दों को लिखूँगा जो पहले दोनों पर लिखे थे।
यह उस वाचा की तरह नहीं होगी जिसे मैंने उनके पूर्वजों के साथ की थी। मैंने वह वाचा तब की जब मैंने उनके हाथ पकड़े और उन्हें मिस्र से बाहर लाया। मैं उनका स्वामी था और उन्होंने वाचा तोड़ी।” यह सन्देश यहोवा का है।
किन्तु मैं तुमसे कहता हूँ कि जो व्यक्ति अपने भाई पर क्रोध करता है, उसे भी अदालत में इसके लिये उत्तर देना होगा और जो कोई अपने भाई का अपमान करेगा उसे सर्वोच्च संघ के सामने जवाब देना होगा और यदि कोई अपने किसी बन्धु से कहे ‘अरे असभ्य, मूर्ख।’ तो नरक की आग के बीच उस पर इसकी जवाब देही होगी।
जब यीशु ने यह देखा तो उसे बहुत क्रोध आया। फिर उसने उनसे कहा, “नन्हे-मुन्ने बच्चों को मेरे पास आने दो। उन्हें रोको मत क्योंकि परमेश्वर का राज्य ऐसों का ही है।
फिर यीशु ने क्रोध में भर कर चारों ओर देखा और उनके मन की कठोरता से वह बहुत दुखी हुआ। फिर उसने उस मनुष्य से कहा, “अपना हाथ आगे बढ़ा।” उसने हाथ बढ़ाया, उसका हाथ पहले जैसा ठीक हो गया।