“एक कनात दस गज लम्बी आँगन के प्रवेश द्वार को ढ़कने के लिए बनाओ। इस कनात को सन के उत्तम रेशों और नीले, लाल और बैंगनी कपड़े से बनाओ। इन कनातों पर चित्रों को काढ़ो। उस पर्दे के लिए चार खम्भे और चार आधार होने चाहिए।
आँगन पचास गज लम्बा और पच्चीस गज चौड़ा होना चाहिए। आँगन के चारों ओर की दीवार साढ़े सात फुट ऊँची होनी चाहिए। पर्दा सन के उत्तम रेशों का बना होना चाहिए। सभी खम्भों के नीचे के आधार काँसे के होने चाहिए।
उस काँसे का उपयोग मिलापवाले तम्बू के प्रवेश द्वार के आधारों को बनाने में हुआ। उन्होंने काँसे का उपयोग वेदी और काँसे की जाली बनाने में भी किया और वह काँसा, सभी उपकरण और वेदी की तश्तरियों को बनाने के काम में आया।