तब उन्होंने पचास सोने के छल्ले बनाए। उन्होंने इन छल्लों का उपयोग दोनों कनातों को जोड़ने के लिए किया। इस प्रकार पूरा तम्बू एक ही कपड़े में जुड़कर एक हो गया।
जिस पर समूची देह निर्भर करती है। यह देह उससे जुड़ती हुई प्रत्येक सहायक नस से संयुक्त होती है और जब इसका हर अंग जो काम उसे करना चाहिए, उसे पूरा करता है तो प्रेम के साथ समूची देह का विकास होता है और यह देह स्वयं सुदृढ़ होती है।