“पवित्र स्थान में पर्दे के दूसरी ओर विशेष मेज़ को रखो। मेज़ तम्बू के उत्तर में होनी चाहिए। तब दीपाधार को तम्बू के दक्षिण में रखो। दीपाधार मेज़ के ठीक सामने होगा।
तब मूसा ने विशेष रोटी की मेज को मिलापवाले तम्बू में रखा। उसने इसे पवित्र तम्बू के उत्तर की ओर रखा। उसने इसे पर्दे के सामने रखा।
तब मूसा ने दीपाधार को मिलापवाले तम्बू में रखा। उसने दीपाधार को पवित्र तम्बू के दक्षिण ओर मेज के पार रखा।
तब विशेष रोटी की मेज को अन्दर लाओ। जो सामान मेज पर होने चाहिए उन्हें उस पर रखो। तब दीपाधार को तम्बू में रखो। दीपाधार पर दीपकों को ठीक स्थानों पर रखो।
लोग दीया जलाकर किसी बाल्टी के नीचे उसे नहीं रखते बल्कि उसे दीवट पर रखा जाता है और वह घर के सब लोगों को प्रकाश देता है।
एक तम्बू बनाया गया था जिसके पहले कक्ष में दीपाधार थे, मेज़ थी और भेंट की रोटी थी। इसे पवित्र स्थान कहा जाता था।