“दीपाधार की छः शाखाएँ होनी चाहिए। तीन शाखाएँ एक ओर और तीन शाखाएँ दूसरी ओर होनी चाहिए।
बसलेल बहुत अच्छा शिल्पकार है और वह सोना, चाँदी तथा काँसे की चीज़ें बना सकता है।
दीपाधार के दोनों ओर छः शाखाएं थीं। एक ओर तीन शाखाएं थीं तथा तीन शाखाएं दूसरी ओर।
लोग दीया जलाकर किसी बाल्टी के नीचे उसे नहीं रखते बल्कि उसे दीवट पर रखा जाता है और वह घर के सब लोगों को प्रकाश देता है।