कारीगरों ने पंख सहित दो करूब (स्वर्गदूतों) की मूर्तियाँ बनाईं। कारीगरों ने जैतून की लकड़ी से मूर्तियाँ बनाई। ये करूब (स्वर्गदूत) सर्वाधिक पवित्र स्थान में रखे गये। हर एक स्वर्गदूत पन्द्रह फुट ऊँचा था।
ये करूब (स्वर्गदूत) सर्वाधिक पवित्र स्थान में रखे गए थे। वे एक दूसरे की बगल में खड़े थे। उनके पंख एक दूसरे को कमरे के मध्य में छूते थे। अन्य दो पंख हर एक बगल की दीवार को छूते थे।
दाऊद ने बताया कि सुगन्धि की वेदी के लिये कितना शुद्ध सोना लगेगा। दाऊद ने सुलैमान को परमेश्वर का रथ, यहोवा के साक्षीपत्र के सन्दूक के ऊपर अपने पँखों को फैलाये करूब (स्वर्गदूत) के साथ दयापीठ की योजना भी दी। करूब (स्वर्गदूत) सोने के बने थे।
तुम चुने गए करुब (स्वर्गदूत) थे। तुम्हारे पंख मेरे सिंहासन पर फैले थे और मैंने तुमको परमेश्वर के पवित्र पर्वत पर रखा। तुम उन रत्नों के बीच चले जो अग्नि की तरह कौंधते थे।
क्योंकि मेरा विचार है कि परमेश्वर ने हम प्रेरितों को कर्म-क्षेत्र में उन लोगों के समान सबसे अंत में स्थान दिया है जिन्हें मृत्यु-दण्ड दिया जा चुका है। क्योंकि हम समूचे संसार, स्वर्गदूतों और लोगों के सामने तमाशा बने हैं।
सन्दूक के ऊपर परमेश्वर की महिमामय उपस्थिति के प्रतीक यानी करूब बने थे जो क्षमा के स्थान पर छाया कर रहे थे। किन्तु इस समय हम इन बातों की विस्तार के साथ चर्चा नहीं कर सकते।
उन्हें यह दर्शा दिया गया था कि उन बातों का प्रवचन करते हुए वे स्वयं अपनी सेवा नहीं कर रहे थे बल्कि तुम्हारी कर रहे थे। वे बातें स्वर्ग से भेजे गए पवित्र आत्मा के द्वारा तुम्हें सुसमाचार का उपदेश देने वालों के माध्यम से बता दी गई थीं। और उन बातों को जानने के लिए तो स्वर्गदूत तक तरसते हैं।