“इस्राएल के लोगों से मेरे लिए भेंट लाने को कहो। हर एक व्यक्ति अपने मन में निश्चय करे कि वह मुझे इन वस्तुओं में से क्या अर्पित करना चाहता है। इन उपहारों को मेरे लिए अर्पित करो।
उनके सभी पड़ोसियों ने उन्हें बहुत सी भेंट दी। उन्होंने उन्हें चाँदी, सोना, पशु और अन्य कीमती चीज़ें दीं। उनके पड़ोसियों ने उन्हें वे सभी चीज़ें स्वेच्छापूर्वक दीं।
वह समूह यरूशलेम में यहोवा के मन्दिर को पहुँचा। तब परिवार के प्रमुखों ने यहोवा के मन्दिर को बनाने के लिये अपनी भेंटें दीं। उन्होंने जो मन्दिर नष्ट हो गया था उसी के स्थान पर नया मन्दिर बनाना चाहा।
उसके बाद, उन्होंने लगातार चलने वाली प्रत्येक दिन की होमबलि नया चाँद और सभी अन्य उत्सव व विश्राम के दिनों की भेंटें चढ़ानी आरम्भ कीं जैसा कि यहोवा द्वारा आदेश दिया गया था। लोग अन्य उन भेंटों को भी चढ़ाने लगे जिन्हें वे यहोवा को चढ़ाना चाहते थे।
तुम्हें बाबेल के सभी प्रान्तों से होकर जाना चाहिये। अपने लोगों, याजकों और लेवीवंशियों से भी भेटें इकट्ठी करो। ये भेटें उनके यरूशलेम में परमेश्वर के मन्दिर के लिये हैं।
यरूशलेम में रहने के लिए कुछ लोगों ने स्वयं अपने आप को प्रस्तुत किया। अपने आप को स्वयं प्रस्तुत करने के लिए दूसरे व्यक्तियों ने उन्हें धन्यवाद देते हुए आशीर्वाद दिये।
किन्तु इस्राएल के लोगों के पास जो कुछ होगा उसका दसवाँ हिस्सा मुझको देंगे। इस तरह मैं लेवीवंशी लोगों को दसवाँ हिस्सा दूँगा। यही कारण है कि मैंने लेविवंशीयों के लिए कहा हैः वे लोग उस भूमि को नहीं पाएंगे जिसे मैंने इस्राएल के लोगों को देने का वचन दिया है।”