“यदि दासी का स्वामी किसी दूसरी स्त्री से भी विवाह करे तो उसे चाहिए कि वह पहली पत्नी को कम भोजन या वस्त्र न दे और उसे चाहिए कि उन चीजों को लगातार वह उसे देता रहे जिन्हें पाने का उसे अधिकार विवाह से मिला है।
यदि स्वामी उस स्त्री से सन्तुष्ट नहीं है तो वह उसके पिता को उसे वापस बेच सकता है। किन्तु यदि दासी का स्वामी उस स्त्री से विवाह करने का वचन दे तो वह दूसरे व्यक्ति को उसे बेचने का अधिकार खो देता है।