इस्राएल के सभी लोगों ने सीन की मरुभूमि से एक साथ यात्रा की। वे यहोवा जैसा आदेश देता रहा, एक स्थान से दूसरे स्थान की यात्रा करते रहे। लोगों ने रपीदीम की यात्रा की और वहाँ उन्होंने डेरा डाला। वहाँ लोगों के पीने के लिए पानी न था।
इसलिए यित्रो मूसा के पास तब गया जब वह परमेश्वर के पर्वत (सीनै पर्वत) के निकट मरुभूमि में डेरा डाले था। मूसा की पत्नी और उसके दो पुत्र यित्रो के साथ थे।
मूसा के ससुर का नाम यित्रो था। यित्रो मिद्यान का याजक था। मूसा यित्रो की भेड़ों का चरवाहा था। एक दिन मूसा भेड़ों को मरुभूमि के पश्चिम की ओर ले गया। मूसा होरेब नाम के उस एक पहाड़ को गया, जो परमेश्वर का पहाड़ था।
परमेश्वर ने कहा, “क्योंकि मैं तुम्हारे साथ रहूँगा। मैं तुमको भेज रहा हूँ, यह प्रमाण होगा: लोगों को मिस्र के बाहर निकाल लाने के बाद तुम आओगे और इस पर्वत पर मेरी उपासना करोगे।”
यहोवा ने मूसा से मिलापवाले तम्बू में बात की। यह सीनै मरुभूमि में हुई। यह बात इस्राएल के लोगों द्वारा मिस्र छोड़ने के बाद दूसरे वर्ष के दूसरे महीने के पहले दिन की थी। यहोवा ने मूसा से कहा:
यह वही है जो वीराने में सभा के बीच हमारे पूर्वजों और उस स्वर्गदूत के साथ मौजूद था जिसने सिनाई पर्वत पर उससे बातें की थी। इसी ने हमें देने के लिये परमेश्वर से सजीव वचन प्राप्त किये थे।
इन बातों का प्रतीकात्मक अर्थ है: ये दो स्त्रियाँ, दो वाचओं का प्रतीक हैं। एक वाचा सिनै पर्वत से प्राप्त हुआ था जिसने उन लोगों को जन्म दिया जो दासता के लिये थे। यह वाचा हाजिरा से सम्बन्धित है।