लोगों ने चालीस वर्ष तक मन्ना खाया। वे मन्ना तब तक खाते रहे जब तक उस प्रदेश में नहीं आ गए जहाँ उन्हें बसना था। वे उसे तब तक खाते रहे जब तक वे कनान के निकट नहीं आ गए।
जब उनको भूख लगी, बरसा दिया भोजन था तूने आकाश से। जब उन्हें प्यास लगी, चट्टान से प्रकट किया तूने था जल को और कहा तूने था उनसे ‘आओ, ले लो इस प्रदेश को।’ तूने वचन दिया उन को उठाकर हाथ यह प्रदेश देने का उनको!
“यहोवा इस्राएल के लोगों के विरुद्ध बहुत क्रोधित था। इसलिए यहोवा ने लोगों को चालीस वर्ष तक मरुभूमि में रोके रखा। यहोवा ने उनको तब तक वहाँ रोके रखा जब तक वे लोग, जिन्होंने यहोवा के विरुद्ध पाप किए थे, मर न गए
याजक हारून ने यहोवा की आज्ञा मानी और वह होर पर्वत पर चढ़ा। हारून पाँचवें महीने के प्रथम दिन मरा। वह मिस्र को इस्राएल के लोगों द्वारा छोड़ने का चालीसवाँ वर्ष था।
देखो, मैंने यह सारा देश तुम्हें दिया है। अन्दर जाओ, और स्वयं उस पर अधिकार करो। यह वही देश है जिसे देने का वचन मैंने तुम्हारे पूर्वजों इब्राहीम, इसहाक और याकूब को दिया था। मैंने यह प्रदेश उन्हें तथा उनके वंशजों को देने का वजन दिया था।’”
यह याद रखो कि यहोवा तुम्हारे परमेश्वर, ने तुमको तुमने जो कुछ भी किया उन सभी के लिए आशीर्वाद दिया। वह इस विस्तृत मरुभूमि से तुम्हारा गुजरना जानता है। यहोवा, तुम्हारा परमेश्वर इन चालीस वर्षों में तुम्हारे साथ रहा है। तुम्हें वे सभी चीजें मिली हैं जिनकी तुम्हें आवश्यकता थी।’
उस दिन जब लोगों ने वह भोजन कर लिया, उसके बाद स्वर्ग से विशेष भोजन आना बन्द हो गया। उसके बाद, इस्राएएल के लोगों ने स्वर्ग से विशेष भोजन न पाया। उसके बाद उन्होंने वही भोजन खाया जो कनान में पैदा किया गया था।