मूसा ने उनसे कहा, “यह वैसा ही है जैसा यहोवा ने बताया था। क्यों? क्योंकि कल यहोवा के आराम का पवित्र दिन सब्त है। तुम लोग आज के लिए जितना भोजन तुम्हें चाहिए पका सकते हो। किन्तु शेष भोजन कल सवेरे के लिए बचाना।”
फिर तू उतरा सीनै पहाड़ पर और आकाश से तूने था उनको सम्बोधित किया। उत्तम विधान दे दिया तूने उन्हें सच्ची शिक्षा को था तूने दिया उनको। व्यवस्था का विधान उन्हें तूने दिया और तूने दिया आदेश उनको बहुत उत्तम!
तूने बताया उन्हें सब्त यानी अपने विश्राम के विशेष दिन के विषय में। तूने अपने सेवक मूसा के द्वारा उनको आदेश दिये। व्यवस्था का विधान दिया और दी शिक्षाएँ।
“छः दिन तक काम करो। तब सातवें दिन विश्राम करो। इससे तुम्हारे दासों और तुम्हारे दूसरे मजदूरों को भी विश्राम का समय मिलेगा। और तुम्हारे बैल और गधे भी आराम कर सकेंगे।”
सप्ताह में दूसरे अन्य छः दिन काम करने के लिए हैं, किन्तु सातवाँ दिन विश्राम करने का विशेष दिन है, अर्थात् यहोवा को सम्मान देने का विशेष दिन है, कोई व्यक्ति जो सब्त के दिन काम करेगा अवश्य ही मार दिया जाये।
“छ: दिन काम करो। किन्तु सातवाँ दिन, आराम का एक विशेष दिन या पवित्र मिलन का दिन होगा। उस दिन तुम्हें कोई काम नहीं करना चाहिए। यह तुम्हारे सभी घरों में यहोवा का सब्त है।
लोग इसे इकट्ठा करते थे और तब इसे पीसकर आटा बनाते थे या वे इसे कुचलने के लिए चट्टान का उपयोग करते थे। तब वे इसे बर्तन में पकाते थे अथवा इसके “फुलके” बनाते थे। फुलके का स्वाद जैतून के तेल से पकी रोटी के समान होता था।