“सो तुम लोग आज की इस रात को सदा याद रखोगे, तुम लोगों के लिए यह एक विशेष पवित्र पर्व होगा। तुम्हारे वंशज सदा इस पवित्र पर्व को यहोवा की भक्ति किया करेंगे।
तुम लोगों को अवश्य अख़मीरी रोटी का पवित्र पर्व याद रखना होगा। क्यों? क्योंकि इस दिन ही मैंने तुम्हारे लोगों के सभी वर्गो को मिस्र से निकाला। अतः तुम लोगों के सभी वंशजों को यह दिन याद रखना ही होगा। यह नियम ऐसा है जो सदा रहेगा।
इसलिए प्रथम महीने निसन के चौदहवें दिन की सन्ध्या से तुम लोग अख़मीरी रोटी खाना आरम्भ करोगे। उसी महीने के इक्कीसवें दिन की सन्ध्या तक तुम ऐसी रोटी खाओगे।
तब लोगों ने एलीम से यात्रा की और सीनै मरुभूमि में पहुँचे। यह स्थान एलीम और सीनै के बीच था। वे इस स्थान पर दूसरे महीने के पन्द्रहवें दिन मिस्र छोड़ने के बाद पहुँचे।
“मैंने इस्राएल के लोगों की शिकायत सुनी है। इसलिए उनसे मेरी बातें कहो। मैं कहता हूँ, ‘आज साँझ को तुम माँस खाओगे और कल सवेरे तुम लोग भरपेट रोटियाँ खाओगे, तब तुम लोग जानोगे कि तुम लोग अपने परमेश्वर यहोवा पर विश्वास कर सकते हो।’”
किन्तु उसके इतना करने के बाद भी हम सब भेड़ों की तरह इधर—उधर भटक गये। हममें से हर एक अपनी—अपनी राह चला गया। यहोवा द्वारा हमें हमारे अपराधों से मुक्त कर दिये जाने के बाद और हमारे अपराध को अपने सेवक से जोड़ देने पर भी हमने ऐसा किया।
जैसे ही सुबह हुई महायाजकों, धर्मशास्त्रियों, बुजुर्ग यहूदी नेताओं और समूची यहूदी महासभा ने एक योजना बनायी। वे यीशु को बँधवा कर ले गये और उसे राज्यपाल पिलातुस को सौंप दिया।
इस पुरूष को परमेश्वर की निश्चित योजना और निश्चित पूर्व ज्ञान के अनुसार तुम्हारे हवाले कर दिया गया, और तुमने नीच मनुष्यों की सहायता से उसे क्रूस पर चढ़ाया और कीलें ठुकवा कर मार डाला।
हाँ, हेरोदेस और पुन्तियुस पिलातुस भी इस नगर में ग़ैर यहूदियों और इस्राएलियों के साथ मिल कर तेरे पवित्र सेवक यीशु के विरोध में, जिसे तूने मसीह के रूप में अभिषिक्त किया था, वास्तव में एकजुट हो गये थे।