इसी समय तुम्हें उन के खेत, अँगूर के बगीचे, जैतून के बाग और उनके घर उन्हें वापस लौटा देने चाहिए और वह ब्याज भी तुम्हें उन्हें लौटा देना चाहिए जो तुमने उनसे वसूल किया है। तुमने उधार पर उन्हें जो धन, जो अनाज़ जो नया दाखमधु और जो तेल दिया है, उस पर एक प्रतिशत ब्याज वसूल किया है!”
कुछ लोग यह भी कह रहे थे, “हमें अपने खेतों और अँगूर के बगीचों पर राजा का कर चुकाना पड़ता है किन्तु हम कर चुका नहीं पाते हैं इसलिए हमें कर चुकाने के वास्ते धन उधार लेना पड़ता है।
“जब तुम उस देश में रहोगे जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें दे रहा है तब तुम्हारे लोगों में कोई भी गरीब हो सकता है। तुम्हें स्वार्थी नहीं होना चाहिए। तुम्हें उस गरीब व्यक्ति को सहायता देने से इन्कार नहीं करना चाहिए।