इस प्रकार हममें से कोई भी कभी अपने कपड़े नहीं उतारता था न मैं, न मेरे साथी, न मेरे लोग और न पहरेदार! हर समय हममें से प्रत्येक व्यक्ति अपने दाहिने हाथ में हथियार तैयार रखा करता था।
उस अवसर पर लोगों से मैंने यह भी कहा था: “रात के समय हर व्यक्ति और उसका सेवक यरूशलेम के भीतर ही ठहरे ताकि रात के समय में वे पहरेदार रहें और दिन के समय कारीगर।”
इसके बाद मैंने अपने भाई हनानी को यरूशलेम का हाकिम नियुक्त कर दिया। मैंने हनन्याह नाम के एक और व्यक्ति को चुना और उसे किलेदार नियुक्त कर दिया। मैंने हनानी को इसलिए चुना था कि वह बहुत ईमानदार व्यक्ति था तथा वह परमेश्वर से आम लोगों से कहीं अधिक डरता था।
वे एक दूसरे को आपस में नहीं थकेलते हैं। हर एक सैनिक अपनी राह पर चलता है। यदि कोई सैनिक आघात पा करके गिर जाता है तो भी वे दूसरे सैनिक आगे ही बढ़ते रहते हैं।
किन्तु परमेश्वर के अनुग्रह से मैं वैसा बना हूँ जैसा आज हूँ। मुझ पर उसका अनुग्रह बेकार नहीं गया। मैंने तो उन सब से बढ़ चढ़कर परिश्रम किया है। (यद्यपि वह परिश्रम करने वाला मैं नहीं था, बल्कि परमेश्वर का वह अनुग्रह था जो मेरे साथ रहता था।)
घुंघरूओं की छमछम पर, पशुओं को लिए पानी वाले कूपों पर, वे यहोवा की विजय की कथाओं को कहते हैं, इस्राएल में यहोवा और उसके वीरों की विजय—कथा कहते हैं। उस समय यहोवा के लोग नगर—द्वारों पर लड़े और विजयी हुये!
इसलिए अबीमेलेक और उसके सभी लोग सलमोन पर्वत पर गए। अबीमेलेक ने एक कुल्हाड़ी ली और उसने कुछ शाखाएँ काटीं। उसने उन शाखाओं को अपने कंधों पर रखा। तब उसने अपने साथ के आदमियों से कहा “जल्दी करो, जो मैंने किया है, वही करो।”