इसके बाद ये याजक भी मन्दिर में अपने—अपने स्थानों पर आ खड़े हुए: मासेयाह, शमायाह, एलियाजर, उज्जी, यहोहानाम, मल्कियाह, एलाम और एजेर। फिर दोनों, गायक मण्डलियों ने यिज्रहियाह की अगुवाई में गाना आरम्भ किया।
फिर इसके बाद अपने—अपने स्थानों पर जो याजक जा खड़े हुए थे, उनके नाम हैं—एल्याकिम, मासेमाह, मिन्यामीन, मीकायाह, एल्योएनै, जकर्याह और हनन्याह। उन याजकों ने अपनी—अपनी तुरहियाँ भी ले रखी थीं।
सो उस विशेष दिन, याजकों ने बहुत सी बलियाँ चढ़ाईं। हर कोई बहुत प्रसन्न था। परमेश्वर ने हर किसी को आनन्दित किया था। यहाँ तक कि स्त्रियाँ और बच्चे तक बहुत उल्लसित और प्रसन्न थे। दूर दराज के लोग भी यरूशलेम से आते हुए आनन्दपूर्ण शोर को सुन सकते थे।