मन्दिर में सेवा आराधना करने वाले लोग ओपेल की पहाड़ी पर बस गये। सीहा और गिश्पा मन्दिर के उन सेवकों के मुखिया थे।
सबसे पहले लौट कर आने वाले और अपने नगरों और अपमने प्रदेश में रहने वाले लोगों में कुछ इस्राएली, याजक, लेवीवंशी और मन्दिर में सेवा करने वाले सेवक थे।
योताम ने यहोवा के मन्दिर के ऊपरी द्वार को दुबारा बनाया। उसने ओपेल नामक स्थान में दीवार पर बहुत से निर्माण कार्य किये।
मन्दिर के विशेष सेवक ये हैं: ये सीहा, हसूपा और तब्बाओत के वंशज हैं।
मन्दिर के जो सेवक ओपेल पहाड़ी पर रहा करते थे उन्होंने परकोटे के अगले हिस्से की जल—द्वार के पूर्वी ओर तथा उसके निकट के गुम्बद तक की मरम्मत का काम किया।
फिर मल्कियाह ने मन्दिर के सेवकों के घरों और व्यापारियों के घरों तक की दीवार की मरम्मत की। यानी निरीक्षण द्वार के सामने से दीवार के कोने के ऊपरी कक्ष तक के हिस्से की मरम्मत मल्कियाह ने की।