“ऐसा घटने के बाद उत्तर का वह राजा स्वयं अपने देश के सुदृढ़ किलों की ओर लौट जायेगा। किन्तु वह दुर्बल हो चुका होगा और उसका पतन हो जायेगा। फिर उसका पता भी नहीं चलेगा।
वह ऐसे विलुप्त होगा जैसे स्वप्न शीघ्र ही कहीं उड़ जाता है। फिर कभी कोई उसको देख नहीं सकेगा, वह नष्ट हो जायेगा, उसे रात के स्वप्न की तरह हाँक दिया जायेगा।
सम्भव है, दुष्ट जन मुझ पर चढ़ाई करें। सम्भव है, वे मेरे शरीर को नष्ट करने का यत्न करे। सम्भव है मेरे शत्रु मुझे नष्ट करने को मुझ पर आक्रमण का यत्न करें।
संसार के पाप बहुत भारी हैं। उस भार से दबकर यह धरती गिर जायेगी। यह धरती किसी झोपड़ी सी काँपेगी और नशे में धुत्त किसी व्यक्ति की तरह धरती गिर जायेगी। यह धरती बनी न रहेगी।
अन्य लोग उससे डरेंगे जो तुम्हारे साथ हुआ। तुम समाप्त हो जाओगे! लोग तुम्हारी खोज करेंगे, किन्तु तुमको फिर कभी पाएंगे नहीं!” मेरा स्वामी यहोवा यही कहता है।
“किन्तु उस स्त्री के परिवार का एक व्यक्ति दक्षिणी राजा के स्थान को ले लेने के लिये आयेगा। वह उत्तर के राजा की सेनाओं पर आक्रमण करेगा। वह राजा के सुदृढ़ किले में प्रवेश करेगा। वह युद्ध करेगा और विजयी होगा।