“हे न्यायशास्त्रियों, तुम्हें धिक्कार है, क्योंकि तुमने ज्ञान की कुंजी ले तो ली है। पर उसमें न तो तुमने खुद प्रवेश किया और जो प्रवेश करने का जतन कर रहे थे उनको भी तुमने बाधा पहुँचाई।”
वे कलीसिया के द्वारा भेजे जाकर फीनीके और सामरिया होते हुए सभी भाइयों को अधर्मियों के हृदय परिवर्तन का विस्तार के साथ समाचार सुनाकर उन्हें हर्षित कर रहे थे।
फिर वहाँ ठहरने का अपना समय पूरा करके हमने विदा ली और अपनी यात्रा पर निकल पड़े। अपनी पत्नियों और बच्चों समेत वे सभी नगर के बाहर तक हमारे साथ आये। फिर वहाँ सागर तट पर हमने घुटनों के बल झुक कर प्रार्थना की।
अनेक उपहारों द्वारा उन्होंने हमारा मान बढ़ाया और जब हम वहाँ से नाव पर आगे को चले तो उन्होंने सभी आवश्यक वस्तुएँ ला कर हमें दीं। फिर सिकंदरिया के एक जहाज़ पर हम वही चल पड़े। इस द्वीप पर ही जहाज़ जाड़े में रुका हुआ था। जहाज़ के अगले भाग पर जुड़वाँ भाईयों का चिन्ह अंकित था।
सो मैं जब इसपानिया जाऊँगा तो आशा करता हूँ तुमसे मिलूँगा! मुझे उम्मीद है कि इसपानिया जाते हुए तुमसे भेंट होगी। तुम्हारे साथ कुछ दिन ठहरने का आनन्द लेने के बाद मुझे आशा है कि वहाँ की यात्रा के लिए मुझे तुम्हारी मदद मिलेगी।
इसलिए कोई भी उसे छोटा न समझे। उसे उसकी यात्रा पर शान्ति के साथ विदा करना ताकि वह मेरे पास आ पहुँचे। मैं दूसरे भाइयों के साथ उसके आने की प्रतीक्षा कर रहा हुँ।
अब हमारे भाई अपुल्लौस की बात यह है कि मैंने उसे दूसरे भाइयों के साथ तुम्हारे पास जाने को अत्यधिक प्रोत्साहित किया है। किन्तु परमेश्वर की यह इच्छा बिल्कुल नहीं थी कि वह अभी तुम्हारे पास आता। सो अवसर पाते ही वह आ जायेगा।