दासों को सिखाओ कि वे हर बात में अपने स्वामियों की आज्ञा का पालन करें। उन्हें प्रसन्न करते रहें। उलट कर बात न बोलें।
जैसे कलीसिया मसीह के अधीन है, वैसे ही पत्नियों को सब बातों में अपने अपने पतियों के प्रति समर्पित रहना चाहिए।