सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, “यरूशलेम में फिर बुढे स्त्री—पुरूष समाजिक स्थलों में दिखाई पङेंगे। लोग इतनी लम्बी आयु तक जीवीत रहेंगेकि उन्हें सहरे की छङी की आवश्यकता होगी
किन्तु यदि चोट खाए व्यक्ति को कुछ समय तक चारपाई पकड़नी पड़े तो चोट पहुँचाने वाले व्यक्ति को उसे हर्जाना देना चाहिए। चोट पहुँचाने वाला व्यक्ति उसके समय की हानि को धन से पूरा करे। वह व्यक्ति तब तक उसे हर्जाना दे जब तक वह पूरी तरह ठीक न हो जाए।”
तब इस्राएल की युवतियाँ प्रसन्न होंगी और नाचेंगी। युवा, वृद्ध पुरुष भी उस नृत्य में भाग लेंगे। मैं उनके दु:ख को सुख में बदल दूँगा। मैं इस्राएल के लोगों को आराम दूँगा। मैं उनकी खिन्नता को प्रसन्नता में बदल दूँगा।
“यहूदा के सभी नगरों में लोग एक साथ शान्तिपूर्वक रहेंगे। किसान और वह व्यक्ति जो अपनी भेड़ों की रेवड़ों के साथ चारों ओर घूमते हैं, यहूदा में शान्ति से एक साथ रहेंगे।
उसने उससे कहा, “दौड़कर जाओ और उस युवक से कहो कि यरूशलम इतना विशाल है कि उसे नापा नहीं जा सकता। उससे यह कहो, ‘यरूशलेम बिना चहारदीवारी का नगर होगा। क्यों क्योंकि वहाँ असंख्य लोग और जानवर रहेंगे।’