“पवित्र स्थान में उपासना के उपयोग में आने वाली सभी विशेष चीज़ों को एक साथ इकट्ठा करो। इन्हें एक साथ इकट्ठा करो और इनको नीले कपड़े में लपेटो। तब इसे सुइसों के चमड़े से ढको। इन चीजों को ले जाने के लिए इन्हें एक ढाँचे पर रखो।
तब वे इन सबको सुइसों के चमड़े से बने आवरण में ढकें। तब वे पवित्र सन्दूक पर बिछे चमड़े पर पूरी तरह से एक नीला वस्त्र फैलाएंगे और पवित्र सन्दूक में लगे कड़ों में डंडे डालेंगे।
फिर एक और स्वर्गदूत आया और वेदी पर खड़ा हो गया। उसके पास सोने का एक धूपदान था। उसे संत जनों की प्रार्थनाओं के साथ सोने की उस वेदी पर जो सिंहासन के सामने थी, चढ़ाने के लिए बहुत सारी धूप दी गई।