हारून जब होर पर्वत पर मरा तब वह एक सौ तेईस वर्ष का था।
इस समय मूसा अस्सी वर्ष का था और हारून तिरासी का।
याजक हारून ने यहोवा की आज्ञा मानी और वह होर पर्वत पर चढ़ा। हारून पाँचवें महीने के प्रथम दिन मरा। वह मिस्र को इस्राएल के लोगों द्वारा छोड़ने का चालीसवाँ वर्ष था।
अरात कनान के नेगेव प्रदेश में था। कनानी राजा ने वहाँ सुना कि इस्राएल के लोग आ रहे हैं।