“इस छुट्टी के पाँचवें दिन तुम्हें दोष रहित नौ साँड, दो मेढ़े और एक—एक वर्ष के चौदह मेमनों की भेंट चढ़ानी चाहिए।
तुम्हें पापबलि के रूप में एक बकरे की भी भेंट देनी चाहिए। यह दैनिक बलि और अन्नबलि तथा पेय भेंट के अतिरिक्त भेंट होगी।
तुम्हें बैलों, मेढ़ों और मेमनों के साथ अपेक्षित मात्रा में अन्न तथा पेय की भी भेंट चढ़ानी चाहिए।
ऐसा ही महायाजक हमारी आवश्यकता को पूरा कर सकता है, जो पवित्र हो, दोषरहित हो, शुद्ध हो, पापियों के प्रभाव से दूर रहता हो, स्वर्गों से भी जिसे ऊँचा उठाया गया हो।