उस रात परमेश्वर बिलाम के पास आया। परमेश्वर ने कहा, “ये लोग अपने साथ ले जाने के लिए कहने को फिर आ गए हैं। इसलिए तुम उनके साथ जा सकते हो। किन्तु केवल वही करो जो मैं तुमसे करने को कहूँ।”
तू मुझसे खुश नहीं है और मैंने तेरे अहंकारपूर्ण अपमानों को सुना है। सो मैं तुझे दण्ड दूँगा। मैं तेरी नाक मे नकेल डालूँगा। मैं तेरे मुँह पर लगाम लगाऊँगा और तब मैं तुझे विवश करुँगा कि तू जिस मार्ग से आया था, उसी मार्ग से मेरे देश को छोड़ कर वापस चला जा!’”
यहोवा के दूत ने बिलाम से कहा, “नहीं, तुम इन लोगों के साथ जा सकते हो। किन्तु सावधान रहो। वही बातें कहो जो मैं तुमसे कहने के लिए कहूँगा।” इसलिए बिलाम बालाक द्वारा भेजे गए नेताओं के साथ गया।
‘बालाक अपना सोने—चाँदी से भरा घर मुझको दे सकता है। परन्तु मैं तब भी केवल वही बातें कह सकता हूँ जिसे कहने के लिए यहोवा आदेश देता है। मैं अच्छा या बुरा स्वयं कुछ नहीं कर सकता। मुझे वही करना चाहिए जो यहोवा का आदेश हो। क्या तुम्हें याद नहीं कि मैंने ये बातें तुम्हारे लोगों से कहीं।’
ये शब्द कहे गए, क्योंकि मैं परमेश्वर की बात सुनता हूँ। मैं उन चीज़ों को देख सकता हूँ जिसे सर्वशक्तिमान परमेश्वर चाहता है की मैं देखूँ। मैं जो कुछ स्पष्ट देख सकता हूँ वही नम्रता के साथ कहता हूँ।